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3000 टीचर ट्रेनिंग इंस्टिट्यूट की मान्यता पर खतरा, NCTE की सख्ती से हड़कंप

By Author

15-Apr-2025

3000 टीचर ट्रेनिंग इंस्टिट्यूट की मान्यता पर खतरा, NCTE की सख्ती से हड़कंप.

नई दिल्ली: राष्ट्रीय अध्यापक शिक्षा परिषद (NCTE) एक बार फिर सुर्खियों में है। खबर है कि देशभर में करीब 3000 टीचर ट्रेनिंग इंस्टिट्यूट्स की मान्यता रद्द हो सकती है। NCTE ने गुणवत्ता और नियमों के पालन को लेकर सख्त रुख अपनाया है, जिसके तहत बड़े पैमाने पर कार्रवाई की तैयारी चल रही है। इस खबर से शिक्षा क्षेत्र में हड़कंप मच गया है, और हजारों छात्रों व शिक्षकों के भविष्य पर सवाल उठने लगे हैं। आइए, जानते हैं इस मामले की पूरी जानकारी और इसके पीछे की वजह।

 

NCTE का सख्त रुख, क्यों उठ रहा है यह कदम?

 

NCTE, जो देश में शिक्षक प्रशिक्षण संस्थानों को मान्यता देने और उनकी गुणवत्ता सुनिश्चित करने की जिम्मेदारी संभालती है, पिछले कुछ सालों से नियमों का उल्लंघन करने वाले संस्थानों पर नकेल कस रही है। सूत्रों के अनुसार, कई टीचर ट्रेनिंग इंस्टिट्यूट्स में बुनियादी सुविधाओं की कमी, अपर्याप्त फैकल्टी, और अनियमितताओं जैसे मुद्दे सामने आए हैं। कुछ संस्थान बिना उचित मान्यता के कोर्स चला रहे हैं, जबकि अन्य ने NCTE के निर्धारित मानकों को पूरी तरह नजरअंदाज किया है।

 

2022 में राजस्थान के दो सरकारी टीचर ट्रेनिंग संस्थानों—बिकानेर और अजमेर के गवर्नमेंट इंस्टिट्यूट ऑफ एडवांस्ड स्टडीज इन एजुकेशन—की मान्यता NCTE ने रद्द कर दी थी, क्योंकि ये संस्थान नियमों का पालन नहीं कर रहे थे। इस तरह के उदाहरण बताते हैं कि NCTE अब किसी भी तरह की ढील देने के मूड में नहीं है। माना जा रहा है कि इस बार कार्रवाई का दायरा और बड़ा होगा, जिसमें निजी और सरकारी दोनों तरह के संस्थान शामिल हो सकते हैं।

 

3000 संस्थानों पर क्यों लटकी तलवार?

 

हालांकि NCTE ने अभी तक आधिकारिक तौर पर 3000 संस्थानों की सूची या कार्रवाई की पुष्टि नहीं की है, लेकिन शिक्षा क्षेत्र के जानकारों का मानना है कि यह कदम राष्ट्रीय शिक्षा नीति (NEP) 2020 के तहत शिक्षक प्रशिक्षण को और मजबूत करने की दिशा में उठाया जा रहा है। NEP 2020 में शिक्षक प्रशिक्षण को आधुनिक और गुणवत्तापूर्ण बनाने पर जोर दिया गया है, जिसके लिए NCTE नए मानक लागू कर रही है।

 

कुछ प्रमुख कारण जो इस कार्रवाई की वजह हो सकते हैं:

  1. गुणवत्ता में कमी: कई संस्थानों में शिक्षक प्रशिक्षण के लिए जरूरी संसाधन, जैसे लाइब्रेरी, लैब, और प्रशिक्षित फैकल्टी, उपलब्ध नहीं हैं। इससे प्रशिक्षित शिक्षकों की गुणवत्ता पर सवाल उठते हैं।
  2. अनधिकृत कोर्स: कुछ संस्थान बिना NCTE की मंजूरी के बी.एड., एम.एड., या अन्य कोर्स चला रहे हैं, जो नियमों का स्पष्ट उल्लंघन है।
  3. नकली डिग्री का खेल: कुछ जगहों पर फर्जी डिग्रियां बांटने की शिकायतें मिली हैं, जिससे शिक्षा की विश्वसनीयता को ठेस पहुंची है।
  4. NEP 2020 का दबाव: नई शिक्षा नीति के तहत इंटीग्रेटेड टीचर एजुकेशन प्रोग्राम (ITEP) जैसे नए कोर्स शुरू किए जा रहे हैं। पुराने और गैर-जरूरी कोर्स, जैसे डिप्लोमा इन एलिमेंट्री एजुकेशन (DElEd) या जूनियर बेसिक ट्रेनिंग (JBT), को बंद करने की प्रक्रिया भी तेज हो रही है।
  5. निरीक्षण में खामियां: NCTE के ऑनलाइन और फिजिकल निरीक्षण में कई संस्थानों ने मानकों को पूरा नहीं किया। उदाहरण के लिए, कोलकाता में बाबा साहेब अंबेडकर एजुकेशन यूनिवर्सिटी ने एक संस्थान को डी-एफिलिएट किया, क्योंकि वहां एक ही बिल्डिंग में फार्मेसी कोर्स भी चल रहा था, जो NCTE नियमों के खिलाफ है।

छात्रों और शिक्षकों पर क्या होगा असर?

 

अगर 3000 संस्थानों की मान्यता रद्द होती है, तो इसका सबसे ज्यादा असर उन छात्रों पर पड़ेगा जो इन संस्थानों में पढ़ रहे हैं या डिग्री हासिल कर चुके हैं। राजस्थान के मामले में देखा गया था कि मान्यता रद्द होने के बाद छात्रों की डिग्रियां अवैध हो गईं, और उन्हें नौकरी पाने में मुश्किलों का सामना करना पड़ा। विशेषज्ञों का कहना है कि ऐसी स्थिति में:

  • वर्तमान छात्र: जो छात्र इन संस्थानों में पढ़ रहे हैं, उनकी पढ़ाई अधर में लटक सकती है। उन्हें अन्य मान्यता प्राप्त संस्थानों में ट्रांसफर करना पड़ सकता है, जो आसान नहीं होगा।
  • पूर्व छात्र: जिन्होंने पहले डिग्री ली है, उनकी डिग्रियों की वैधता पर सवाल उठ सकते हैं, खासकर सरकारी नौकरियों के लिए।
  • शिक्षक और स्टाफ: इन संस्थानों में काम करने वाले शिक्षक और अन्य कर्मचारियों की नौकरियां खतरे में पड़ सकती हैं।
  • निजी संस्थान: ज्यादातर प्रभावित संस्थान निजी क्षेत्र के हो सकते हैं, जिससे निजी शिक्षा क्षेत्र को आर्थिक नुकसान होगा।

 

NCTE की नई पहल और बदलाव

NCTE केवल सजा देने में नहीं, बल्कि सुधार लाने में भी जुटी है। हाल के कुछ कदम इस दिशा में संकेत देते हैं:

  • एक साल का बी.एड. और एम.एड. कोर्स: NCTE ने 2026-27 सत्र से एक साल के बी.एड. और एम.एड. कोर्स फिर से शुरू करने का फैसला लिया है, ताकि शिक्षक प्रशिक्षण को तेज और प्रभावी बनाया जा सके। यह उन छात्रों के लिए फायदेमंद होगा जो जल्दी करियर शुरू करना चाहते हैं।
  • ITEP प्रोग्राम: इंटीग्रेटेड टीचर एजुकेशन प्रोग्राम को बढ़ावा दिया जा रहा है, जो चार साल का कोर्स है और NEP 2020 के तहत शुरू किया गया है। यह कोर्स योग, शारीरिक शिक्षा, और संस्कृत जैसे नए क्षेत्रों में भी उपलब्ध होगा।
  • ब्रिज कोर्स: सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद, NCTE ने उन प्राथमिक शिक्षकों के लिए 6 महीने का ब्रिज कोर्स शुरू किया है, जिनके पास बी.एड. डिग्री है, लेकिन वे 2018-2023 के बीच नियुक्त हुए हैं। यह कोर्स उनकी नौकरी को सुरक्षित करने में मदद करेगा।

आगे क्या?

NCTE की इस संभावित कार्रवाई से शिक्षा क्षेत्र में बड़े बदलाव की उम्मीद है। लेकिन सवाल यह है कि क्या इतने बड़े पैमाने पर मान्यता रद्द करना व्यावहारिक है? क्या इससे छात्रों और शिक्षकों का भविष्य सुरक्षित रहेगा, या यह एक और प्रशासनिक गड़बड़ी साबित होगी? कई विशेषज्ञों का मानना है कि NCTE को मान्यता रद्द करने के साथ-साथ संस्थानों को सुधार का मौका देना चाहिए, ताकि शिक्षा का नुकसान न हो।

छात्रों और अभिभावकों को सलाह दी जाती है कि वे अपने संस्थान की मान्यता की स्थिति NCTE की आधिकारिक वेबसाइट  http://ncte.gov.in पर जांच लें। साथ ही, नए कोर्स और नियमों की जानकारी के लिए समय-समय पर अपडेट रहें।

निष्कर्ष

NCTE का यह कदम शिक्षा की गुणवत्ता को बढ़ाने की दिशा में हो सकता है, लेकिन इसके अमल में पारदर्शिता और संवेदनशीलता जरूरी है। अगर 3000 संस्थानों की मान्यता वाकई रद्द होती है, तो यह शिक्षा क्षेत्र में एक ऐतिहासिक बदलाव होगा। लेकिन इसके साथ ही सरकार और NCTE की जिम्मेदारी होगी कि वे छात्रों और शिक्षकों के हितों को प्राथमिकता दें।

आपके विचार क्या हैं? क्या NCTE का यह कदम सही दिशा में है, या इससे और समस्याएं बढ़ेंगी? नीचे कमेंट करें और अपनी राय साझा करें!

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